Laddakh News : What did Sonam Wangchuk say in Ladakh protest 2024 आखिर क्यों चल रहा लद्दाख में विरोध प्रदर्शन ?

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Laddakh News Update;- “आज मेरे 14 वें दिन के अनशन का अंत है और यहाँ मेरे साथ लगभग 1000 लोग आज 1 दिन के अनशन पर हैं। ये यहां कोई भी गुट जो खनन के गुट हैं औद्योगिक गुट है इंडस्ट्रियल लॉबी, माइनिंग लॉबी आज लद्दाख को ऐसे छोड़ा गया है की कोई भी यहाँ खिलवाड़ करे ये सह नहीं सकेगी लद्दाख का पर्यावरण ऐसा औद्योगिक विनाश कहूंगा मैं तो विकास नहीं।”

Laddakh News Update;-देश भर में इस समय या तो होली का माहौल है या चुनाव का, लेकिन राजधानी दिल्ली से करीब 1225 किलोमीटर दूर लोकतंत्र का रंग अलग ही दिख रहा है। मांगें उठ रही है वहाँ पर अनशन हो रहे हैं। मांग हो रही है पहचान के संरक्षण की, एक संवैधानिक दर्जे की। आप कहेंगे कि अगर मांग संवैधानिक है। तो पूरी हो जानी चाहिए, लेकिन क्या सब कुछ इतना ही संरेख हैं इतना ही लीनियर है

Laddakh News Update; आज बात विस्तार से करेंगे। बात होगी लद्दाख की, बात होगी सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल की, बात होगी छठी अनुसूची की और जनजातियों की और हिमालय की।

Laddakh News ;लद्दाख के विख्यात एजुकेटर और एनवायरमेंटलिस्ट सोनम वांगचुक 6 मार्च से वहां भूख हड़ताल पर बैठे हैं। 15 दिन हो चुके हैं लद्दाख में इस समय तापमान जीरो डिग्री से भी नीचे जा रहा है। खुले आसमान के नीचे वांगचुक का साथ देने हजारों की भीड़ आ रही है, लेह के नवांग दोरजे मेमोरियल पार्क में ही अनशन चल रहा है।

Laddakh News : What did Sonam Wangchuk say in Ladakh protest 2024 संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर चल रहा लद्दाख में विरोध प्रदर्शन ! 19 फरवरी 2024 को प्रतिनिधिमण्डल और सरकार के बीच बातचीत हुई थी। इससे कुछ समय पहले केंद्र सरकार ने एक हाई पावर कमेटी का भी गठन किया था। बातचीत के यह दौर 19 से लेकर 23 फरवरी तक चलेगा। 

4 मार्च को एक बार फिर बातचीत हुई लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई। 6 मार्च को लेह के कई संगठनों ने लद्दाख में बंद का आह्वान किया था। तब से सोनम वांगचुक अनशन पर लगातार बैठे हुए हैं। प्रदर्शन भी चल रहे हैं। इस दौरान इस प्रदर्शन को यहाँ के दो बड़े सामाजिक राजनीतिक संगठनों का भी समर्थन प्राप्त है। ये संगठन हैं एबीएल यानी अपेक्स बॉडी लेह और केडीए यानी कारगिल डेमोक्रेटिक अलाइंस। ये भीड़ ये संगठन। और वांग्चुक क्या चाहते है?

Laddakh News Update; पहली मांग जम्मू कश्मीर की तरह लद्दाख को भी विधानसभा का दर्जा मिले विधानसभा मिले !

5 अगस्त 2019 को जब अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी हुआ था तो लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। अब यहाँ के लोग अपनी विधानसभा चाहते हैं। इस बारे में सोनम वांगचुक खुद कहते हैं की आजादी के बाद से ही लद्दाख के लोगों की मांग थी कि उन्हें जम्मू कश्मीर से अलग किया जाए क्योंकि लद्दाख के लोगों को हमेशा ये लगता रहा। इस रिश्ते में उनकी भूमिका छोटे भाई वाली हो गयी थी और इससे यहाँ के लोगों के हित प्रभावित हो रहे थे। 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से लद्दाख अलग तो हो गया लेकिन विधानसभा नहीं मिली।

Laddakh News Update; दूसरी मांग लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए !

छठी अनुसूची के अनुच्छेद 244 और 275 के तहत संविधान में जनजातीय क्षेत्रों के लिए विशेष अधिकारों का प्रावधान किया गया है।
देश के चार राज्य असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन छठी अनुसूची के तहत ही होता है।इसके तहत इन क्षेत्रों में स्वायत्त यानी ऑटोनोमस जिला परिषद बनाने का प्रावधान है। इन जिलों को अपने कानूनी, न्यायिक और प्रशासनिक अधिकार प्राप्त है। यानी ये जिले अपने लिए खुद ही कायदे कानून बना सकते हैं। 

इस अनुसूची से यह अधिकार भी मिलता है कि अगर किसी जिले में अलग अलग जनजातियां हैं तो कई ऑटोनोमस जिला परिषद भी बनाए जा सकते हैं या हर ऑटोनोमस जिले से एक परिषद बनाई जा सकती है।परिषद का कार्यकाल 5 वर्ष होता है, जिसमें अधिकतम 30 सदस्य शामिल किए जा सकते हैं। इस परिषद को जिले के लिए नियम कानून बनाने का पूरा अधिकार होता है।

Laddakh News; प्रदर्शन करने वालों का कहना ये है की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने के बाद वहाँ खनन जैसी गतिविधियॉं नहीं होंगी और उनका तर्क यह है कि पहाड़ी इलाकों पर उद्योगपतियों की नजरें गड़ी हुई है और इससे बचने के लिए लद्दाख को बचाने के लिए छठी अनुसूची का विशेष अधिकार जरूरी है। इससे होगा ये है की लद्दाख की स्वायत्त परिषद अपने हक में नियम कानून बनाकर खनन जैसी गतिविधियों पर रोक सकते हैं।

संवैधानिक भाषा से। पर सपाट सहेजें में इसको ऐसे समझें किसी राज्य की जनजातीय आबादी के इलाकों को संरक्षण के उद्देश्य से अतिरिक्त संवैधानिक अधिकार दिए जाएं या विशेष दर्जा दिया जाए। इसके लिए छठी अनुसूची का प्रावधान है लद्दाख में इसकी मांग क्यों हो रही है

Laddakh News; प्रदर्शन करने वालों का कहना ये है की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने के बाद वहाँ खनन जैसी गतिविधियॉं नहीं होंगी और उनका तर्क यह है कि पहाड़ी इलाकों पर उद्योगपतियों की नजरें गड़ी हुई है और इससे बचने के लिए लद्दाख को बचाने के लिए छठी अनुसूची का विशेष अधिकार जरूरी है। इससे होगा ये है की लद्दाख की स्वायत्त परिषद अपने हक में नियम कानून बनाकर खनन जैसी गतिविधियों पर रोक सकते हैं।

Laddakh News Update;-उदाहरण के लिए नागालैंड को मिला खास प्रावधान समझ लीजिये।

वहाँ के कुछ मामलों में संसद की कोई कार्यवाही लागू नहीं होगी। कौन से हैं ये मामले धार्मिक और सामाजिक परम्पराएँ परंपरागत कानून नगा कानून के अनुसार दीवानी और फौजदारी से जुड़े हुए केसेस, जमीन और अन्य रिसोर्सेस के मालिकाना हक इत्यादि। इनमें कोई भी बदलाव राज्य की विधानसभा से पारित होगा। इस अनुच्छेद के मुताबिक नागालैंड में जमीन और संसाधन सरकार के नहीं। बल्कि स्थानीय लोगों के हैं संसाधन की बात हुई तो जिक्र यहाँ के इको सिस्टम का भी होना चाहिए।

Laddakh News Update; 1974 से लद्दाख को टूरिज़म के लिए खोल दिया और शुरू शुरू में यहाँ डोमेस्टिक टूरिस्ट बहुत कम आते थे। ज्यादातर फॉरेन टूरिस्ट आते थे और ज्यादातर यहाँ पर ऐडवांचर टुरिज़म करते थे। पहले जो फॉरेन

टूरिस्ट आते थे, ट्रैकिंग और माउंटेनरिंग वगैरह फिर बाद में आहिस्ता आहिस्ता। डोमेस्टिक टूरिस्ट भी आने लगे। मगर फिर ये फ़िल्म थ्री इडियट्स के बाद ये एकदम से फट सा गया है। तो जहाँ 20, हजार था मुझे याद है सन 2000 में वो आज 6, लाख ये 6, लाख 5 महीने में कॉन्संट्रेटेड आते हैं। और वो भी पांच छह किलोमीटर स्क्वेर के लेह शहर में ।

Laddakh News Update; तीसरी मांग लद्दाख में एक और संसदीय सीट बढ़ाई जाए !

    • लद्दाख की कुल आबादी 3, लाख से ऊपर है।
    • यहाँ के दो जिले हैं लेह और कारगिल 
    • लेकिन लोकसभा सीट एक ही है। लद्दाख लोग चाहते हैं की एक सीट और बढ़ाई जाए
    • अगर ऐसा होता है तो यहाँ के लोगों को विधायिका वाली अपनी मांग को भी और मजबूती से पिच करने में मदद मिलेगी।

लेकिन क्या एक लोकसभा सीट बढ़ा देना वहाँ पर संभव है?

Laddakh News Update;-चौथी मांग पब्लिक सर्विस कमिशन को लद्दाख लेकर के आया जाये !

Laddakh News Update; लेह के निवासी टूंडूप थांलिस बीबीसी से बात करते हुए कहते हैं

2016 में मैंने अर्थशास्त्र में मास्टर्स किया था, गजेटेड ऑफिसर बनना चाहता था। पहले मैं जम्मू कश्मीर पब्लिक सर्विस कमिशन में अप्लाई करता था, लेकिन 2019 में लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया। इसके बाद से आज तक यहाँ गैजेटेड ऑफिसर्स की भर्तियां ही नहीं हुई है। मेरी उम्र निकल गई है. और अभी भी नौकरी नहीं लगी है।
लद्दाख के अलग होने से पहले जम्मू कश्मीर पब्लिक सर्विस कमिशन में लद्दाख के लोग भी भर्ती किए जाते थे। लेकिन अब अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद ऐसा नहीं हो रहा है। इसलिए लद्दाख अपना पब्लिक सर्विस कमिशन अलग चाह रहा है। अब तसल्ली से बात करते है।
तीसरी मांग पर छठी अनुसूची सोनम वांग्चुक अपने तमाम संबोधनों में भाजपा का 2019 वाला चुनावी घोषणापत्र लहराते हैं जिसमें लिखा था, कॉन्स्टिट्यूशनल सेफगार्ड फॉर लद्दाख अन्डर। सिक्सथ शेड्यूल क्या घोषणापत्र मेँ लिखी इस बात पर आगे कुछ काम हुआ?

Laddakh News Update; इन मुद्दों पर नेताओं का क्या कहना है?

प्रियंका गाँधी ने हाल ही में लद्दाख के लोगों की मांगों का समर्थन किया और कहा कि ये सरकार की जिम्मेदारी है। कि वो इन मांगों को पूरा करें?

एलएबी और केडीए के कानूनी सलाहकार हाँजी गुलाम मुस्तफा। इस बारे में क्या कहते है वो भी सुन लीजिये  

जो हमारे हिल काउंसिल हैं जिसमें नुमाइंदगी है लोगों की उसको भी मेकिंग पावर नहीं है यानी वो बहुत ज्यादा कमजोर हो चुकी है आफ्टर रीऑर्गनाइजेशन एक्ट ऑफ 2019 इसलिए हमारी डिमांड है हमारे लद्दाख वालों की और केडीए जो तदार में जो हमारी मूवमेंट चली है जिसमें हमारे बहुत सारे टॉक्स भी हुए हैं हमारी होम मिनिस्ट्री के साथ हमारी डिमांड ये है कि हमारे लद्दाख को इंपावर करने की जरूरत है और जो लद्दाख के लोग हैं यहां के लोगों को इख्तियार दिए जाने चाहिए कि वो अपने राइट्स और अपने लॉ खुद बनाएं और अपने फ्यूचर है लद्दाख का खुद डिसाइड करे।

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नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम मुकेश कुमार है और मैं उत्तर प्रदेश से हूँ। मैंने जनवरी 2024 में ब्लॉगिंग शुरू की। मेरी वेबसाइ न्यूज से संबंधित है। मुझे जानकारी इकट्ठा करने का बहुत शौक था और यही मेरा जुनून भी है। फिलहाल मै मेरी Tazanews7.com वेबसाइट पर आर्टिकल अपलोड करता हूँ। और मनोरंजन जगत से जुड़ी हर खबर को सरल तरीके से आप तक पहुंचाने के लिए तैयार हूं। धन्यवाद
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